Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को मतदान होने जा रहा है. वहीं इस बार ऐसी कई सीटें हैं जहां मुकाबला काफी दिलचस्प होने के आसार हैं. इन्हीं में से एक सीट नागौर की डीडवाना विधानसभा सीट है. इस सीट पर पहले ये उम्मीद की जा रही थी कि बीजेपी यहां से यूनुस खान को टिकट दे सकती है, हालांकि ऐसा नहीं हुआ. वहीं अब पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के करीबियों में गिने जाने वाले यूनुस खान ने निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है. आइए जानते हैं टिकट कटने के बाद उन्होंने क्या कुछ कहा.
‘राजस्थान तक' से बातचीत के दौरान यूनुस खान ने कहा, “हर राजनीतिक दल में एक सिस्टम होता है इसमें वे अपने विवेक से उम्मीदवार का चयन करते हैं. जब बीजेपी ने डीडवाना में अपना प्रत्याशी चुना तो उन्होंने अपने विवेक से फैसला लिया, इसका मैं स्वागत करता हूं.”
टिकट कटने पर क्या कहा?
खान ने आगे कहा, “बीजेपी ने मेरा टिकट काटा, मुझे इस पर नाराजगी नहीं है. सवाल ये पैदा होता है कि जनभावना जो है जनमानस उसका क्या विचार है. क्योंकि सबसे बड़ा फैसला करने वाला परमात्मा है. उसके बाद दल हैं. लेकिन मेरी नजर में सबसे बड़ी जनता है. जो अभी जनप्रतिनिधि हैं. उन्होंने कानून को कब्जे में लेकर जनता के साथ जो अत्याचार किया है उसका अंत करने के लिए जनता ने खुद अब तय कर लिया है.”
‘जनता करेगी फैसला'
यूनुस खान ने ये भी कहा, “ये चुनाव मैं नहीं लड़ रहा ये चुनाव डीडवाना की जनता यहां के मान, सम्मान और स्वाभिमान के लिए जनता खुद लड़ रही है. जनता के दिल में क्या तकलीफ है. यहां की जनता 25 नवंबर अपने दिल का भाव, जनता क्या सोचती है ये मतपेटी में एक्सप्रेस करेगी. इसके बाद जब तीन दिसंबर को जब परिणाम आएंगे तो पता चलेगा कि जनता क्यो सोचती है, किसकी गलती थी, पार्टी क्या सोच रही थी. ये तो जनता ही तय करेगी. मेरे सारे रोल डीडवाना की जनता तय करेगी. जो जनता कहेगी मेरा वही फैसला होगा.”
त्रिकोणीय होगा मुकाबला
बता दें कि इस बार नागौर की डीडवाना सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होने के साथ दिलचस्प भी होने जा रहा है, क्योंकि यहां कांग्रेस ने मौजूदा विधायक चेतन डूडी को टिकट दिया है तो बीजेपी ने जितेंद्र सिंह जोधा को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं डीडवाना के दिग्गज नेता यूनुस खान ने निर्दलीय ही चुनावी ताल ठोक रहे हैं.
1998 के बाद लगातार नहीं जीती कोई पार्टी
वहीं अभी तक डीडवाना के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो 1998 के बाद से ऐसा नहीं हुआ कि कोई प्रत्याशी लगातार दो बार चुनाव जीता हो. जहां डीडवाना में 1998 में कांग्रेस ने चुनाव जीता थो वहीं 2003 में यहां की सीट बीजेपी के खाते में आई थी. इसके अलावा 2013 में फिर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी तो 2018 में एक बार फिर इस सीट पर कांग्रेस ने जीत ली. वहीं अब देखना होगा कि ये इस सीट पर किसका कब्जा होता है.
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